Pragatisheel Samaj Party
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President: Er. Sunil Kushwaha
प्रिय मित्रों! स्वतंत्रता प्राप्ति के 65 वर्ष से भी अधिक का समय बीत जाने के बावजूद देश की गरीबी और विविध समस्यायें निरन्तर बढ़ती गयीं और आज लुंज-पुंज कानून व्यवस्था, असमान शिक्षा, मंहगी चिकित्सा, बेरोजगारी, मंहगार्इ, व्यभिचार, लूट-मार आदि जैसी अनगिनत समस्यायें मुंह बाये खड़ी हैं। सड़क, बिजली, पानी, खाद तथा बीज एवं अन्य बुनियादी सुविधाओं की स्तिथि क्या है, ये हम सब से छुपा नहीं है। आजादी के 65 वर्षों में भी गावों, गरीबों, मजदूरों, किसानों और महिलाओं की सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक सिथति में कोर्इ विशेष बदलाव नहीं दिखता है, जिसका मुख्य कारण भ्रष्ट एवं अर्कमण्य व्यवस्था के प्रति हमारी उदासीनता है। गाँव या फिर मुहल्ले का प्रधानमुखिया, कोटेदार, पंचायत सेक्रेटरी एवं विकास खण्डजिला मुख्यालय में बैठे हुए सत्ता प्रतिष्ठान के लोग एवं भ्रष्ट सरकारें हमारे हक पर डाका डाले हुए हैं, सरकारी प्राइमरी स्कूल, जहा हमारे गरीब बच्चे पढ़ने जाते हैं, वहां का अध्यापक हमारे टैक्स के पैसों से मोटी रकम वाली तनख्वाह तो बिना नागा लेता है, लेकिन अपने कर्तव्यों के प्रति आखें मूदें हुए है तो इसका जिम्मेदार हमारी उदासीनता ही है। सड़क बनने के छ: महीने बाद टूट जाती है तो इसका जिम्मेदार हमारी उदासीनता ही है। सरकार की ओर से चलायी जा रही योजनाओं में स्थानीय स्तर पर भ्रष्टाचार का बोलबाला है। भ्रष्टाचार एक अहम व गंभीर मुददा है और यह एक बड़ी चुनौती है। बड़ी संख्या में गरीबी की मार झेल रहे पात्र लोगों को बीपीएल कार्ड, अन्तयोदय कार्ड एवं पेंशन वजीफा से सम्बंधित योजनाओं का लाभ न मिलने की समस्या भ्रष्टाचार की ही देन है। यह चिन्ताजनक है कि सरकारी विभाग मनमानी ढ़ंग से काम करने में लगे हुये हैं, और इसके चलते न सिर्फ सरकारी खजाने की बर्बादी हो रही है। बल्कि जरूरतमंद लोगों का हक भी मारा जा रहा है। हमारे आज के राजनेताओं को भारत को विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र बताते हुए बड़ा गर्व महसूस होता है। परन्तु भ्रष्टाचार ने भारत के लोकतंत्र को लूटतंत्र में बदलकर रख दिया है। आज भ्रष्टाचार के कारण ही हमारा देश आर्थिक एवं सामाजिक रूप से जर्जर सबसे गरीबतम देशों की पंकित में खड़ा है। जिस राष्ट्र के संविधान की प्रस्तावना में ही देश को एक सामाजिक गणराज्य बनाने की बात कही गयी हो तब क्या उस देश के नीति-नियन्ताओं की जिम्मेदारी नहीं बनती कि वे ऐसी व्यवस्था का सृजन करते जिसमें देश के समस्त नागरिकों को जीवन के सभी क्षेत्रों में एक समान रूप से सम्मान सहित जीने का अवसर उपलब्ध हो। ग्लोबल विकास के इस दौर में मौलिक बदलाव की जरूरत को पूरा करने की जबावदेही रखने वाले समस्त राजनीतिक दलों एवं उनके शीर्षस्थ नेताओं में से कोर्इ तो बताए कि आजादी के बाद आधी सदी से भी ज्यादा समय बीत जाने के बावजूद भी देश की अधिकतर आबादी आज भी अनाथों की तरह जीवन जीने को मजबूर क्यों है। किन्तु! प्रिय देशवासियों निराशा किसी भी समस्या का समाधान नहीं है, क्योंकि घोर अंधेरी रात में भी तारों की टिम-टिमाहट कायम रहती है। आइये, हम सब एकजुट होकर अपनी अपार शक्ति को पहचान कर एक ऐसी राजनैतिक, सामाजिक एवं आर्थिक व्यवस्था स्थापित करने के लिए अपना योगदान अर्पित करें, जो सबका सम्मान, सुरक्षा सहित भरपेट रोटी, साफ पानी, तन ढ़कने के लिए छत, आर्थिक सुरक्षा के लिए सुनिश्चित आय के साधन दे। अब जवाबदेही तय करने का समय आ गया है। क्योंकि सत्ता शिखरों पर विराजमान राजनैतिक नायक जब अनैतिक हो जाते हैं। तब उन्हें हटाकर सच्चे देशभक्तों को इस खालीपन को भरना आवश्यक ही नहीं अपितु अपरिहार्य हो जाता है। यह भारतवर्ष के सम्यक विकास का ऐतिहासिक सत्य भी है। आज जब प्रगतिशील समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष माननीय इंजीनियर सुनील कुशवाहा के नेतृत्व में प्रगतिषील समाज पार्टी के कर्मठ कार्यकर्ताओं के द्वारा सुप्त भारतीय समाज को जागृत करने का अनवरत प्रयास शुरू हो चुका है, तो आज हमें भी इस विचारधारा को आगे बढ़ाने में तन-मन-धन से सहयोग करना तर्कसंगत प्रतीत होता है। आज जब हम सबने मिलकर देश को सम्यक विकसित राष्ट्र बनाने का सपना संजोया है, तो अब हमें विकसित राष्ट्र के संकल्प के इस महा आल्दोलन में बिना देर किए शामिल हो जाना चाहिए। नहीं तो आने वाला भारत का इतिहास हमें कभी भी माफ नहीं करेगा। साथियों, विकसित समाज, विकसित राष्ट्र के सृजन की सम्भावना अभी समाप्त नहीं हुर्इ है, और यही सम्भावना एक यक्ष प्रश्न की भाति उस अधिकार वंचित भारतीयों के सामने मौजूद है, जो सम्मान और र्इमानदारी के साथ जीना चाहते हैं। प्रगतिशील समाज पार्टी के पदाधिकारियों एवं कार्यकर्ताओं ने अपने त्याग और कार्यो से गांवों, मुहल्लों की ज्वलंत समस्याओं को, जनता के अधिकार, उसके हक-हकूक को, देश के ज्वलंत मुददों में तब्दील करने का कार्य किया है, तो यह उन सभी कार्यकर्ताओं का हम सब पर परोपकार है। लेकिन मित्रों! इस उपलब्धि पर केवल ताली बजाने से काम नहीं चलेगा, क्योंकि तमाषबीनों से देश की हालत नहीं बदलती। इसलिए हमें अपने अधिकारों के लिए लड़ना पड़ेगा, अपने वोट की शक्ति को पहचानना होगा, सड़क पर उतरकर विरोध करना होगा। हम सब को प्रगतिशील समाज पार्टी की इस व्यवस्था परिवर्तन की लड़ार्इ में सहयोग करना होगा। तब कहीं जाकर देश की अधिकांश जनता को आर्थिक गुलामी से मुकित मिलेगी और विकसित राष्ट्र का लक्ष्य पूरा होगा। प्रगतिशील समाज पार्टी यह मानती है कि हो सकता है इस व्यवस्था परिवर्तन के संघर्ष में लोग आरम्भ में हमारा एवं आपका विरोध करें, परन्तु वही बाद में आपके संघर्ष के कारवां में साथ खड़े दिखार्इ देंगे, यह चराचर सत्य है। प्रगतिशील समाज पार्टी के माध्यम से आज हम इस देश के वंचित तबकों से यह आह्वान कर रहे हैं कि वर्तमान राजसत्ता ने तुम्हें सदा अंधेरे में रखा है, लेकिन रास्ता तो अन्धेरे भी ढूंढ लेते हैं। आओ हम सब एक दूसरे की लाठी बनकर सच्ची सम्यक आजादी की राह पर चलने के लिए तैयार हो जायें। इसलिए उठो, अपने पतन, शोषण और पिछड़ेपन की कुम्भकर्णी नींद से जागो तथा संगठित होकर इस देश की सत्ता पर कुण्डली मार कर बैठे भ्रष्ट एवं अनैतिक राजनीतिज्ञों को हटाकर सम्यक राजसत्ता स्थापित कर विकसित राष्ट्र के संकल्प को पूरा करने में अपना बहुमूल्य योगदान अर्पित करो। समय की मांग है कि अब एक ऐसे शासन-तंत्र की स्थापना हो, जिसमें बच्चे को उसका बचपन, सभी किशोरों को शिक्षा के समान अवसर, युवकों को रोजगार, महिलाओं को सुरक्षा, बुजुर्गो को सम्मान, किसान को उसकी फसल की उचित कीमत, व्यापारियों को भयमुक्त व्यावसायिक वातावरण, सबको विकास के समान अवसर, सभी गरीबों को नि:शुल्क चिकित्सा सुलभ हो, साथ ही भ्रष्टाचार एवं अत्याचार से मुक्ति मिले व चोरी, लूट-खसोट आदि बंद हो। अब तक आप सबको देख चुके हैं तो एक मौका प्रगतिशील समाज पार्टी को देना चाहिए। यह देश का एकमात्र ऐसा राजनीतिक दल है, जिसकी विचारधारा वैज्ञानिक एवं व्यवहारिक है। इसके बावजूद यदि आप किसी और पार्टी को मौका देना चाहते हैं, तो आप स्वतंत्र हैं, निर्णय आपके हाथ में है। किन्तु ध्यान रहे, एक तरफ जहां दूसरी पार्टियों के पास सिर्फ लोक-लुभावन वादे और धोखा देने का इतिहास है, तो दूसरी तरफ प्रगतिशील समाज पार्टी के पास देश के नवनिर्माण की वचनवद्धता है।